IPO क्या है ? कंपनी अपना IPO क्यो लाती है ? पूरी जानकारी

आज हम पूरे विस्तार से जानेंगे की IPO क्या है ? IPO का full form क्या है ?  कोई कंपनी IPO क्यों लगती है ?और IPO को लाने की क्या प्रक्रिया होती है ? आईपीओ लाने से कंपनी को क्या लाभ होता है और आईपीओ लाने से कंपनी को क्या हानि हो सकती है ? और क्या IPO में हमें निवेश करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए |?

IPO क्या है ?

 जब कोई कंपनी पहली बार शेयर मार्केट में लिस्ट होना चाहती है  और अपना शेयर पहली बार बेचती है तो इस प्रोसेस को ही हम IPO कहते हैं

जब कोई कंपनी एक बार शेयर मार्केट में लिस्ट हो जाती है तब वह कंपनी प्राइवेट ना हो करके एक पब्लिक कंपनी हो जाती है क्योंकि इसमें पब्लिक का भी पैसा लगा होता है|

IPO का full Form  Initial Public Offering होता है |

IPO क्या है ?

कंपनी अपना IPO क्यो लाती है ?

IPO लाने के कई कारण हो सकते है  जैसे –

कंपनी का बिस्तार करने के लिए 

जब कोई कंपनी लगातार अच्छा काम करके प्रॉफिट कमा रही होती है और वह कंपनी और विस्तार करना चाहती है , जैसे एक शहर से दूसरे शहर में अपना बिजनेस बढ़ाना चाहती है यह एक दूसरे दूसरे देश में अपना बिजनेस बढ़ाना चाहती है तब वह कंपनी अपना आईपीओ लाती है

क्योंकि वह बैंक से लोन लेना नहीं चाहती है, क्योंकि बैंक से लोन लेने पर उसको एक निश्चित समय के बाद बैंक को ब्याज देना पड़ता है इसलिए कंपनियां अपना आईपीओ लेकर आती हैं और मार्केट से पैसा उठाते हैं

कर्ज चुकाने के लिए

जब कोई कंपनी कर्ज में डूबी होती है और उसे अपना कर्ज कम करना होता है तब वह कंपनी आईपीओ लेकर आती है और कंपनी और कंपनी का कुछ शेयर बेचकर मार्केट से पैसा उठाती है और अपना कर्ज कम करती है

नए प्रोडक्ट या सर्विस लांच करने के लिए

जब कोई कंपनी नहीं सर डीसीए नया प्रोडक्ट लांच करना चाहती है तब वह कंपनी आईपीओ लाती है क्योंकि किसी भी सर्विस ya प्रोडक्ट्स को लॉन्च करने में बहुत अधिक खर्चा होता है | जैसे – उस प्रोडक्ट का एडमिट एडमिट इजमेंट करना यह उस प्रोडक्ट को हर जगह उपलब्ध कराने में बहुत खर्चा होता है इसलिए कंपनियां आईपीओ लाती है

आईपीओ लाने की क्या प्रक्रिया होती है ?

जब कोई कंपनी अपना आईपीओ लाना चाहती है तो उसे एक डिटेल डॉक्यूमेंट बनानी पड़ती है | जिसमें कंपनी जिसमें कंपनी की सारी जानकारी होती है,  जैसे- कंपनी का इतिहास, फाइनेंशियल डीटेल्स, कंपनी का फ्यूचर प्लान इत्यादि जिसे DRHP कहते हैं DRHP का फुल फॉर्म  Draft Red Herring Prospectus होता है |

और इस DRHP डॉक्यूमेंट को SEBI ( Securities and Exchange Board of India ) के पास जमा करना पड़ता है जिसके बाद से SEBI,  जो एक गवर्नमेंट बॉडी है जो शेयर मार्केट को चलाती है या उसकी देख-रेख करती है | जैसे- आरबीआई बैंकों को रेगुलेट करता है उसी तरह SEBI भी शेयर मार्केट को रेगुलर करती है | उसके बाद से DRHP का रिव्यू करती है, और कंपनी को शेयर मार्केट में, कंपनी को आईपीओ लाने के लिए परमिशन लेती है

IPO लाना एक जटिल प्रोसेस होता है इसलिए कंपनियां इन्वेस्टमेंट बैंक को अपने साथ लाती हैं और यह बैंक IPO लाने में कंपनी की मदद करते हैं|

आईपीओ लाने का सारा प्लान बनाते हैं और उसके बाद ही आईपीओ को पब्लिक के लिए लाया जाता है |

IPO Issue Time Period क्या होता है

जब कंपनी IPO लाती है तो IPO, न्यूनतम 3 दिन और अधिकतम 10 दिनों के लिए खुला रहता है इसे ही IPO का ISSUE TIME PERIOD करते है | आईपीओ के लिए आपको इतने दिन के अंदर ही अप्लाई करना होता है

लोट साइज क्या होता है ?

दोस्तों आईपीओ में अपने मन से एक या दो शेयर नहीं खरीद सकते हैं क्योंकि आईपीओ में शेयर बॉन्ड बॉन्ड या घुटनों में खरीदना होता है जिसे हम आईपीओ का लॉट साइज करते हैं | 

किसी भी प्लॉट साइज की कीमत 15,000 से ज्यादा नहीं हो सकती है |

उस लाइट साइज में कितने शेयर होंगे यह शेयर के दाम पर निर्भर करता है , जैसे- अगर किसी कंपनी के 1 शेयर का मूल्य ₹100 है तो उस आईपीओ के एक लाट में 150 से और होंगे |

दोस्ती की जरूरी नहीं होता कि अगर आपने किसी कंपनी के आईपीओ के लिए अप्लाई कर दिया है तो आपको शेयर मिल ही जाएगा

क्योंकि जब किसी कंपनी का आईपीओ आता है तो बहुत सारे लोग इस आईपीओ के लिए अप्लाई करते हैं और कभी-कभी जितने लॉर्ड साइज़ होते हैं उससे ज्यादा लोग अप्लाई कर देते हैं तब कंप्यूटर के द्वारा रेंडम ली नॉट सुनिश्चित किया जाता है

कंपनी को आईपीओ लाने से क्या लाभ होता है?

  • आईपीओ लाने से सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि कंपनी को बहुत कम समय में ज्यादा पैसा में प्राप्त हो जाता है जिसे कंपनी अपने बिजनेस को बढ़ाने में प्रयोग करती है |
  • जब कोई कंपनी है शेयर मार्केट में लिस्ट हो जाती है तो लोगों का उस कंपनी पर विश्वास पड़ जाता है कि यह एक अच्छी कंपनी है और उसके प्रोडक्ट की बिक्री में बढ़ोतरी होती है
  • जब किसी कंपनी का आईपीओ आता है तो लोग उसके बारे में रिचार्ज करते हैं रिसर्च करते हैं जिससे उस कंपनी की लोकप्रियता बढ़ जाती है

आईपीओ लाने से क्या हानि होती है ?

  • जब कोई कंपनी आईपीओ लाती है तो आईपीओ लाने में कम से कम 6 से 9 महीने का टाइम लगता है जिसमें कंपनी का टॉप मैनेजमेंट होता है वह कंपनी के आईपीओ पर फोकस करता है जिससे कंपनी के बिजनेस पर फर्क पड़ता है और उसके प्रोडक्ट की बिक्री वगैरा में गिरावट होने लगती है
  • किसी भी कंपनी का आईपीओ लाने में बहुत पैसा खर्च होता है क्योंकि इसके लिए कंपनियां नेशनल बैंक को भी हायर करते हैं जो आईपीओ लाने में इसकी मदद तो करते हैं लेकिन उसके बदले में बहुत चार्ज लेते हैं
  • जब कोई कंपनी शेयर मार्केट में लिस्टेड हो जाए लिस्ट हो जाती है तो कंपनी की बागडोर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के पास चला जाता है कंपनी कंपनी का मालिक उससे बोर्ड ऑफ डायरेक्टर का सदस्य हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है अगर वह डायरेक्टर चाहे तो कंपनी के मालिक हुई कंपनी से निकाल सकते हैं
  • कंपनी पर अच्छा प्रदर्शन करने का भी दवा होता है क्योंकि कंपनी के शेयर होल्डर्स के पास वोट का अधिकार भी होता है वह चाहे तो कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को बदल भी सकते हैं

क्या आईपीओ में निवेश करना चाहिए ?

दोस्तों बहुत बार कंपनी के आईपीओ में निवेश करने से हमें बहुत अच्छा रिटर्न यानि  मुनाफा मिलता है और कभी-कभी हमें नुकसान भी उठाना पड़ता है इसलिए मेरा मानना है कि कंपनी के आईपीओ में निवेश करना चाहिए यह जरूरी नहीं है कि हर कंपनी के IPO में निवेश करना चाहिए आप जिस कंपनी के आईपीओ में निवेश करना चाहते हैं पहले उस कंपनी के बारे में बहुत अच्छे से जानकारी प्राप्त कर लें उसकी DRHP रिपोर्ट को अच्छे से समझ ले पढ़ ले तभी उस कंपनी में निवेश करें |

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